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भगवद गीता के श्लोक ब्रह्माण्ड के मूल सिद्धांतों का वर्णन करते हुए  उसी के अनुसार एक आदर्श मनुष्य जीवन कैसा होना चाहिए इसकी व्याख्या करते हैं। विज्ञान के जगत से जुड़ा पाठक ये सरलता से समझ सकता है के श्लोकों में ब्रह्मा अर्थ ऊर्जा को  ब्रह्माण्ड का अक्षर अविनाशी शाश्वत मूल तत्त्व कहा गया है। ब्रह्मा के प्रकृतियों व गुणों का एक से दूसरे में परिवर्तित होना ऊर्जा के आदान प्रदान को दर्शाता है। संक्षिप्त में यहां कुछ प्रमुख श्लोकों के अनुवाद लिखे हैं। मेरे यह विचार स्वामी रामदेव की व्याख्या पुस्तक 'श्रीमद भगवत गीता गीतामृत' पर आधारित है | 

Verses in Bhagavad Gita state fundamental laws of universe and according to them how an ideal beings' behaviour should be. Any reader from science field can easily grasp the reference of brahma as energy and it is the eternal indestructible basis element in universe. Different forms of energy transforming from one to another state the energy exchanges in nature.Few important verses translation have been written here.My thoughts are based on Swami Ramdev's commentary book 'Shrimad Bhagvat Gita Geetamrit'.

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